teekhabol
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हवा में जब उड़ता ये आँचल
दिल किसी का धडकाता ये आँचल
पायल कि मधुर थिरकन पर
गीत मधुर गाता ये आँचल
नारी की हर ताल के संग
लहर-लहर लहराता ये आँचल
सुन चूडियो की खनक को
मंत्रमुग्ध होता ये आँचल
देख चेहरे की चमक को
दांतों तले दब जाता ये आँचल
एक बार पिया जो आये सामने
शर्मा कर रह जाता ये आँचल
नारी के उजले सौन्दर्य को
अपने में छिपाता ये आँचल
नारी का बनता पहरेदार हमेशा
उसकी शर्म हया का ये आँचल
भूले से ग़र छूले कोई बुराई
फंदा गले का बनता ये आँचल
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