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अजी छोडिये ये मजाक ……….

teekhabol
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आज विश्व पर्यावरण दिवस है सभी जानते होंगे ! प्रतिवर्ष 5 जून को मनाया जाने वाला विश्व पर्यावरण दिवस ! अच्छा है, वैसे भी ये तो आजकल का चलन बन गया है किसी को साल में एक दिन याद करके बाकि दिन भूल जाने का ! फिर चाहे विश्व पर्यावरण दिवस हो, अर्थ अवर डे, या फिर कोई और दिन !

अब आज सब बैठ गए सुबह से इस मुद्दे पर अपने-अपने विचार देने और लगे हाथ मैं भी आ गई इस पर अपना teekha bol सुनाने !

तो सुनिए, अब तक सभी ने यही कहा और सुना होगा की आज के दिन हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए या फिर अपने आस पास के पेड़ो को कैसे बचाना चाहिये ! और सही भी है अगर हम इन पेड़ो की रखवाली नहीं करेंगे या इन्हें सही तरीके से सीचेंगे नहीं तो ये हमारा साथ नहीं देंगे ! लेकिन क्या सिर्फ खाद पानी दे देने भर से इनकी देखभाल हो जाती है या सिर्फ नए पेड़ लगाने भर से ही हम अपने पर्यावरण को बचा लेंगे !

कुछ आंकड़े बताती हूँ जो अभी कुछ दिन पहले एक विद्यार्थी की साइंस की और सामान्य ज्ञान की किताब में पढे थे !

एक एयर कंडिशनर एक घंटे में 3 kg कार्बन डाई ऑकसाइड उत्पन्न करता है !
एक गीजर एक घंटे में 3.3 kg कार्बन डाई ऑकसाइड उत्पन्न करता है !
पूरा विश्व एक दिन 80 मिलियन बैरल तेल खर्च करता है ! ( वाहनों पर )
अब तक 200 मिलियन हेक्टयर जंगल प्रथ्वी पर से नष्ट हो चुके है !
तंजानिया में माउन्ट किलिमंजारो 1912 से अब तक 80 % पिघल चुका है और सन 2020 में ये पूरी तरह समाप्त हो जायेगा !
ये वो सुविधाए है जिन्हें हम सभी इस्तेमाल करते है , लेकिन जाने-अनजाने किस कदर हम पर्यावरण को नुक्सान पंहुचा रहे है ! उसका हमें इल्म भी नहीं ! हमारी प्रयोग में आने वाली सुविधाओ से हम पर्यावरण को ना जाने कितने टन कार्बन डाई ऑकसाइड दे रहे है अगर हिसाब लगाने बैठे तो सभी गणितज्ञ मात खा जाये !

कोई भी एक बड़ा वृक्ष अपने पूरे जीवन में एक टन कार्बन डाई ऑकसाइड सोखता है ! अब ज़रा गौर करिए अगर एक वृक्ष एक टन कार्बन डाई ऑकसाइड अपने जीवन में सोख रहा है तो हम अपनी तरफ से जो कार्बन डाई ऑकसाइड पर्यावरण को तोहफे में दे रहे उसको सोखने के लिए कितने वृक्षों ज़रूरत होगी ! लम्बा हिसाब है !

हम अक्सर चिल्लाते है गर्मी है गर्मी है, कभी पर्यावरण के चिल्लाने की आवाज़ सुनी है ???? कभी सुना है धरती माँ को ये कहते की बस करो अब और नहीं सह सकती ! कभी पेड़ो को चिल्लाते सुना है ??? मत काटो हमें ! कभी सुना है अपने आस-पास के परिंदों को चिल्लाते,मत उजाडो हमारे घर ! कभी सुना है जलीय जीव को चिल्लाते मत करो मेरा घर गन्दा ! शायद सुना हो या नहीं भी सुना हो लेकिन सुन कर भी क्या फायदा,हम तो वैसे भी अक्सर पीडितो की आवाज़ अपने लाभ के लिए अनसुनी कर ही देते है !

भारतीय पर्यावरणविद सुन्दर लाल बहुगुणा ने कहा था “एक पेड़ दस बेटो के बराबर होता है, क्योकि ये हमें दस चीज़े देता है , ऑक्सीजन,पानी,कपडा,दवाई,एनर्जी,फूल,छाया,लकड़ी,अन्न,फल,अन्य खाद्य पदार्थ !”

अब आप ही सोचिये कि सिर्फ एक दिन हम अपने पर्यावरण को याद करके कौन सा मजाक कर रहे है ?????

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