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कुछ दिन पहले अखबारों में कुछ सर्वे छपे थे जो दिल्ली को लेकर थे और वो इस तरह थे !
1. दिल्ली देश का रहने लायक सबसे अच्छा और नंबर वन शहर है !
2.एक न्यूज़ चैनल के अनुसार दिल्ली देश का सबसे महंगा शहर है !
3.एक अन्य सर्वे के अनुसार दिल्ली, ट्रैफिक अस्तव्यस्तता के मामले में दुनिया का पांचवा शहर है !
4.एक अन्य सर्वे के अनुसार देश में आने वाले सभी विदेशी टूरिस्ट्स में से 67 % लोगो के अनुसार दिल्ली एक असुरक्षित शहर है !
इन सभी सर्वे में कितनी सच्चाई है ये तो पता नहीं, लेकिन अगर ये ज़रा भी सच है तो सोचने वाली बात ये है कि जिस शहर को देश का सबसे अच्छा और रहने लायक शहर कहा जा रहा है क्या वास्तव में ऐसा है ??? दो दिन पहले हुई बारिश ने गेम्स के लिए आधी से ज्यादा उधडी हुई दिल्ली को तालाब में तब्दील कर दिया ! आज आलम ये है की बारिश ख़त्म हो जाने के बाद भी कई इलाके जलमग्न हैं और हमेशा की ही तरह दिल्ली सरकार और एमसीडी ने आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू कर दिया और ये सिलसिला भी हमेशा की तरह बारिश ख़त्म होने के साथ-साथ ख़त्म हो जायेगा !
सर्वे में दिल्ली को सबसे अच्छा शहर कहने का आधार था यहाँ का रहन-सहन, हेल्थ और एजुकेशन ! इन आधारों पर दिल्ली को सर्वश्रेष्ट स्थान ???? ये वाकई हैरान कर देने वाली बात क्योकि इस शहर में फोन करने पर पिज्जा तो 30 मिनिट में आपके घर पहुँच जायेगा लेकिन अम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड और दिल्ली पुलिस जैसी सुविधाए 30 मिनिट में आपके घर पहुँच जाये इस बात की गारंटी नहीं ! लेकिन वी.आई.पी. इलाकों में ये सुविधाए 30 मिनिट से पहले भी पहुँच सकती है तो हुआ ना ये शहर रहने लायक अब सभी लोग वी.आई.पी. इलाकों में नहीं रहते तो इसमें बेचारे सर्वे करने वालो की क्या गलती ! अब अगर हेल्थ की बात करे तो दिल्ली में सभी तरह चिकित्सीय सुविधाए मौजूद है लेकिन यहाँ भी बात आती है की ये सब किसके लिए है, अब सभी तो प्राइवेट अस्पताल का खर्च उठाने में समर्थ हो नहीं सकते और जो सरकारी अस्पताल में शरण लेते है वो ज्यदातर भगवान् भरोसे ही जीते है और अगर एजुकेशन की बात की जाये तो जहां आपको कार लोन दो दिन में मिल सकता है वहीँ आपको एजुकेशन लोन के लिए दो हफ्ते से भी ज्यादा का इन्जार करना पढ़ सकता है ! अब बैंको के अनुसार देश की राजधानी में एजुकेशन ज़रूरी हो या ना हो लेकिन कार होना ज़रूरी है ! अब देश के सबसे अच्छे शहर में रहने के लिए कुछ तो स्टेटस होना ही चाहिए !
अब दूसरे सर्वे के अनुसार दिल्ली देश का सबसे महंगा शहर है ! ये सर्वे तो झूठ हो ही नहीं सकता ! अभी कल ही ही बात है मैंने टोमेटो सूप पीने की इच्छा जाहिर की लेकिन पता लगा की टमाटर 50 रूपये किलो हो गए है ! कीमत सुन कर मैंने इंस्टेंट मेक सूप से ही काम चलाया ! टमाटर, जो की हर सब्जी की जान है वो अगर इतना महंगा है तो बाकी सब्जियों का क्या ??? सब्जियों के अलावा रोज़मर्रा की ज़रुरतो में काम आने वाली सभी चीजों की कीमते आज आसमान में छलांगे लगा रही है तो कैसे नहीं होगा ये देश का सबसे महंगा शहर, बिलकुल होगा !
तीसरे सर्वे में दिल्ली को ट्रेफिक अस्तव्यस्तता के मामले में विश्व में पांचवा स्थान प्राप्त हुआ है ! यह जान कर ख़ुशी हुई खुशी इसलिए की शुक्र है आज विश्व में दिल्ली से भी ज्यादा ट्रेफिक ट्रबल वाले शहर है लेकिन वास्तव में इस सर्वे पर यकीं नहीं हो रहा ! लेकिन अगर यही हालत रही तो कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान पूरे भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली दिल्ली गेम्स में इस ट्रैफिक ट्रबल से अपनी इज्ज़त बचा पायेगी ??? क्या तब सडको पर पदने वाला अतिरिक्त भार दिल्ली ढो पायेगी ???
अब बात उन विदेशी सैलानियों की जिन्होंने दिल्ली को एक असुरक्षित शहर का तमगा दिया ! कुछ दिन पहले ट्विटर पर मंदिरा बेदी की ट्वीट पढ़ी थी जो शायद इसी सर्वे को लेकर लिखी गई थी जिसके अनुसार “दिल्ली, लडकियों के लिए मुंबई से ज्यादा असुरक्षित है !” वास्तव में अगर दिल्ली में लडकियों की सुरक्षा की बात की जाये तो दिल्ली में अब भी लडकियों के लिए एक सुरक्षित वातावरण तैयार नहीं हुआ है ! अक्सर भीड़ में छूने की कोशिश में निकलता किसी पागल जानवर का हाथ, चौक-चौराहों पर घूरती हुई नज़रें, उलजलूल फब्तियां इस बात का सबूत है कि दिल्ली में आज भी एक अकेली लड़की दिल्ली के मर्दों की टेढ़ी नज़र का कारण है ! क्या इस माहौल में विदेशी युवतियां खुद को सुरक्षित रख पाएंगी ??? क्या सभी विदेशी सैलानी गेम्स का आनंद निर्भय हो कर ले पाएंगे ???
आज दिल्ली को हर तरफ से सजाने की कोशिश की जा रही है ! कल ही पढ़ा था की अ़ब जगह-जगह सडको को गन्दा करने वालो पर डबल फाईन लगेगा ! लेकिन क्या ये फाईन लोगो को बदल सकेगा ??? क्या दिल्ली सरकार सडको के साथ-साथ लोगो के दिमाग भी चमका सकेगी, जिनमे अपने देश की इज्ज़त को लेकर कोई जागरूकता नहीं है ! क्या सिर्फ टैक्सी, ऑटो वालो को अंग्रेजी भाषा सीखा देने भर से उनके रवैये में सुधार हो सकेगा ??? डर है की उस वक़्त अखबारों में गेम्स से ज्यादा चर्चा विदेशी सैलानियों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार की ना हो ! जिस गेम्स से सरकार और जनता ये उम्मीद लगाये हुए है की भारत को इससे एक ऊँचा आयाम मिलेगा, भारत का विदेशी व्यापार बढेगा, या विश्व पटल पर भारत की मांग बढेगी, इश्वर ना करे की उस गेम्स के बाद ये नज़ारा उल्टा हो !
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