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आज सुबह की ही बात है,मम्मी से मिलने घर पर एक आंटी आई थी ! कई सालो की जान-पहचान है उनकी हमारे साथ ! आते ही बातो का सिलसिला शुरू हुआ और उन्होंने मम्मी को बताया कि “उनके घर में दो सिंगल रूम सेट खाली है कोई अच्छा किरायदार बताना !” मम्मी ने कहा “ठीक है, कोई पूछने आएगा तो बता दूंगी !” अब इस पर आंटी जी की अगली लाइन थी कि ‘कोई ऐसा बताना जिसके बच्चे ना हो ! ” है…..???? आंटी जी की बात सुन कर मेरा रिएक्शन कुछ ऐसा ही था ! अब इससे पहले की मम्मी कुछ बोलती मैंने झट से पूछ लिया “क्यों,आंटी आपको बिना बच्चो वाले किरायदार ही क्यों चाहिए ??” आंटी, बजाय कोई जवाब देने के मुझे देखने लगी ! मम्मी को आंटी की बात का कारण शायद पता था इसलिए उन्होंने मुझे चुप रहने को कहा, और आंटी से बोली आप छोड़ो इसकी बातो को !” लेकिन मैं भी मैं हूँ अपने सवाल का जवाब लिए बगैर चुप रहना मुझे नहीं आता ! हालाँकि इस वजह से कभी-कभी डांट भी पढ़ जाती है ! लेकिन फिर भी जवाब तो मैं लेकर ही रहती हूँ ! इसलिए अपना सवाल फिर से दोहराया “आंटी बताओ ना,आपको बिना बच्चो वाला किरायदार ही क्यों चाहिए” अब वो थोड़ी झेंप चुकी थी और तुरंत बोली “अरे नहीं, मेरा मतलब है जिसकी नयी-नयी शादी हुई हो या फिर कोई ऐसा जिसके एक ही बच्चा हो” !
मैंने कहा “मुझे समझ नहीं आया,अभी तो आप कह रहे थे कि आपको बिना बच्चो वाले किरायदार ही चाहिए और अब आप कह रहे हो कि एक बच्चा हो, इसलिए ठीक से समझाओ कि आप कह क्या रहे हो !” अब आंटी, मेरी मम्मी से बोली “देखना इसको” ! “तब मम्मी बोली “कुछ नहीं बस बच्चे थोडा परेशान करते है इसलिए मना कर रही थी !” मैंने कहा “मतलब ???’ तब आंटी बोली “अरे,अभी तू नहीं जानती, जब छोटे बच्चे होते है तो कितना परेशान करते है ! मैंने कहा “तो वो तो सभी के बच्चे करते है,आप इस वजह से किसी किरायदार को कमरा नहीं दोगी !” आंटी बोली “अरे नहीं, घर में बच्चे होते है तो शोर बहुत करते है और हमेशा उधम मचा कर रखते है सर में दर्द कर देते है !”तब मैंने कहा,”आंटी,अभी तक तो सुना था कि जब कोई मकान मालिक किरायदार रखता है तो पूछता है कि तुम शाकाहारी हो या मांसाहारी लेकिन आप ने तो नया रुल बना दिया !” तब मम्मी बोली ” नहीं, अब बहुत से लोग बिना बच्चो वाले किरायदार ही चाहते है !”
मुझे ये बात बुरी लगी कि बेचारा आदमी पहले तो एक अदद कमरे के लिए परेशान और अब मकान मालिको के नए-नए रूल्स से परेशान ! फिर कुछ देर बाद मुझे याद आया कि बच्चे तो आंटी जी के भी है और वो भी एक नहीं चार ! अभी लगभग चार-पांच साल पहले तक तो ये भी किराए पर ही रहती थी, अब इन्होने एक मकान बनवा लिया है ! तब मैंने आंटी से कहा, आंटी किराये पर तो आप भी रहती थी आप सोचो कि अगर आप किसी से उस वक़्त अपने लिए कमरा पूछती और तब आपसे कोई ये कहता तो आप को कैसा लगता ???” आंटी बोली ‘सोनी, तेरी बात सही है, लेकिन फिर भी कौन मुसीबत चाहता है ??? मैंने कहा “मुसीबत ???? आंटी, बच्चे तो सभी के ऐसे होते है तो आप किसी और के बच्चो को मुसीबत कैसे कह सकते हो !” तब आंटी ने कहा “अरे तुझे पता नहीं है, किरायेदारो के बच्चे कितना परेशान करते है !” मैंने कहा, ” फिर भी आंटी आपको सिर्फ इस वजह से तो किसी को कमरा देने से मना नहीं करना चाहिए !” इसके बाद आंटी जी एक के बाद एक अनोखे कारण देने लगी और मम्मी ने भी मुझे चुप ही रहने को कह दिया, लेकिन मुझे ये सारी बातें अच्छी नहीं लगी !
जब ये आंटी जी खुद किरायदार थी तब अक्सर कहती थी कि मकान मालिक बहुत चिक-चिक करते है और अब जब मकान मालिक बन गई है तो कहती है कि किरायदार परेशान करते है ! पता नहीं लोग अपना अतीत को क्यों भूल जाते है ??
दिल्ली में वैसे भी किराए पर कमरे मिलना मुश्किल होता है और उस पर कुछ लोग ऐसे होते है जो अपने मकान को एक सराय की तरह बना देते है जिसमे ना तो कोई सहूलियत होती है और ना ही कोई सुविधा, फिर भी इन मकान मालिको के रूल्स ऐसे होते है कि जैसे किसी को महल किराये पर दे रहे है ! बेचारा, किरायदार ना हो इनका गुलाम हो ! कुछ लोग अक्सर पापा को भी सलाह देते है कि आप भी अपने घर कि छत पर एक कमरा बनवा लो और किराए पर उठा दो कमाई हो जाएगी, तब पापा कह देते है अरे नहीं, छत पर धूप बहुत आती है क्योकि हमारा घर चारो तरफ से घिरा हुआ नहीं है “तो इस पर सलाहकारों का कहना होता है तो इसमें क्या हुआ जिसको ज़रूरत होगी वो लेगा !
मकान मालिको का ऐसा बर्ताव ही किरायदारो को परेशान करता है ! एक तो वो वैसे ही अपने हालातो से परेशान होते होंगे और दूसरे ये अनोखे मकान मालिक उन्हें चैन नहीं लगने देते ! सभी को सभी की परेशानी समझते हुए अपना सहयोग देना चाहिए ! आखिर सभी के हालत हमेशा एक से तो नहीं रहते !
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